कुछ था

दिलने अपनी धड़कन खोई , नम आंखे जब यूँ ही रोई।
चार दीवारों के भीतर ही , जब ये सांसे थम कर सोई।
शायद वो हकीकत थी , या फिर वो जज़्बात थे कोई।
मेघधनुष जैसे जीवन से , सारी खुशियां उसने धोई।

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